इतनी कम उम्र में पीवी सिन्धु ने पुरे भारत देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया हाली में हुए वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मैडल जित कर भारत देश का झंडा सबसे उपर लहरा दिया इंटरनेशनल लेवल पर धूम मंचाने वाली बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिन्धु ने 25 अगस्त 2019 को इतिहास राज दिया तेलन्गाना के हैदराबाद में जन्मी पीवी सिन्धु का स्पोर्ट्स में इंटरनेशनल काररीएर 2009 से शुरू हुआ था
पीवी सिन्धु का पूरा नाम पुसर्ला वेंकता सिन्धु है इनका जन्म 5 जुलाई 1995 को तेलन्गाना हैदराबाद में हुआ इनके पिता का नाम पीवी रमना और माँ का नाम पीवी जया है इनके माता-पिता दोनों ही स्पोर्ट्स से जुड़े हुए थे और दोनों ही वॉलीबॉल के खिलाडी रह चुके है इनके पिता को वर्ष 2000 में अर्जुन अवार्ड्स से भी समानित किया जा चूका है लेकिन पीवी सिन्धु ने वॉलीबॉल से हट कर बैडमिंटन में अपना काररीएर चुना पीवी की एक बड़ी बहन भी है जो की एक डॉक्टर है
8 वर्ष की उम्र से ही पीवी सिन्धु ने यह तय कर लिया था की वह बैडमिंटन को ही अपना काररीएर बनाएगी घर में माँ-बाप के स्पोर्ट्समेन बने का यह फायेदा रहा की उन्होंने अपने बच्चो को कभी भी पढाई करने के लिए फोप्र्स नहीं किया जिस वजह से वह अपने खेल में 100% दे पायी वह बचपन से ही पुलेला गोपीचंद से बहुत इंस्पायर्ड थी जो की 2001 में आल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीत चुके थे और हैदराबाद से ही बिलोंग करते थे
पीवी सिन्धु का पूरा नाम पुसर्ला वेंकता सिन्धु है इनका जन्म 5 जुलाई 1995 को तेलन्गाना हैदराबाद में हुआ इनके पिता का नाम पीवी रमना और माँ का नाम पीवी जया है इनके माता-पिता दोनों ही स्पोर्ट्स से जुड़े हुए थे और दोनों ही वॉलीबॉल के खिलाडी रह चुके है इनके पिता को वर्ष 2000 में अर्जुन अवार्ड्स से भी समानित किया जा चूका है लेकिन पीवी सिन्धु ने वॉलीबॉल से हट कर बैडमिंटन में अपना काररीएर चुना पीवी की एक बड़ी बहन भी है जो की एक डॉक्टर है
8 वर्ष की उम्र से ही पीवी सिन्धु ने यह तय कर लिया था की वह बैडमिंटन को ही अपना काररीएर बनाएगी घर में माँ-बाप के स्पोर्ट्समेन बने का यह फायेदा रहा की उन्होंने अपने बच्चो को कभी भी पढाई करने के लिए फोप्र्स नहीं किया जिस वजह से वह अपने खेल में 100% दे पायी वह बचपन से ही पुलेला गोपीचंद से बहुत इंस्पायर्ड थी जो की 2001 में आल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीत चुके थे और हैदराबाद से ही बिलोंग करते थे
वही आके चल कर सिन्धु कोच बने और उनके हिडन टैलेंट को वापिस बहार निकाला 2004 में उन्होंने अपने आइडल पुलेला गोपीचंद से ट्रेनिंग लेना शुरू कर दी उन्होंने ही पीवी को बैडमिंटन की बारिकिया भी सिखाई और उनको इस खेल में दिन भर दिन अच्छा बनाया पीवी के घर और अकैडमी में 56 किलोमीटर का फ़ासला था लेकिन वह प्रैक्टिस के लिए सुबह सवा 4 बजे उठकर अकैडमी पहुच जाती थी उनमे अपने खेलो लेकर एक अलग जूनून रहा है
इसके लिए उन्होंने इंटरव्यू में बताया की जब 21 वर्ष की उम्र में कोच पुलेला गोपीचंद ने उन्हें फ़ोन यूज़ करने से माना करा था क्युकी यह उनके खेल में अर्चन बन रहा था तो उन्होंने अगले 8 महीने तक फ़ोन को हाथ नहीं लगाया इसे आप उनकी खेल की दीवानगी का पता लागाई सकते है साल 2013 में सिन्धु ने अपनी उचाई की पहली सीडी चढ़ी जब उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में वर्ल्ड बैडमिंटन में अपनी अलग पहचान बनायी सीनियर लेवल पर सिन्धु ने कितनी बार ब्रोंज लेवल हासिल किया था
उसके बाद वह 2016 में रिओ ओलंपिक्स में सिल्वर मैडल जीत कर अपने नाम की सनसनी मचा दी वह पहली भारतीय महिला रही जिन्होंने ओलंपिक्स में सिल्वर मैडल जीता था सिन्धु ने रिओ ओलंपिक्स के बाद 16 मैचिस में भाग लेकर जिन में वह हर बार फाइनल तक तो गयी लेकिन अपने नाम खिताफ़ 5 ही बार कर पायी पीवी सिन्धु यह साबित कर दिखाया की कोसिस करने वालो की कभी हार नहीं होती वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला रही
साल 2017 में फाइनल में पहुच कर वर्ल्ड चैंपियनशीप के खिताफ़ के इतना नजदीक जाके भी सिन्धु चुक गयी थी लेकिन सिन्धु ने कूद को उठाया और चलने पर मजबूर करा और आखिर में वह उस मुकाम को हासिल करने में सफल रही उन्होंने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में 36 मिनट में मैच को अपने नाम कर लिया उनकी हर सर्विस के आगे जापान के खिलाडी नोज़ोमो ने कूद को बेबस पाया और पीवी सिन्धु ने सिर्फ 36 मिनट में जीत को अपने पाले में ले लिया
पीवी सिन्धु को बहतरीन बैडमिंटन खेलने के लिए 2013 में अर्जुन अवार्ड 2014 फआईसिसीआई स्पोर्ट्स परसों ऑफ़ दा इयर 2015 में पदम श्री और 2016 में राजिव गाँधी खेल रतन से नवाज़ा गया है पीवी सिन्धु से हर एक इंसान को एक सिख मिलती है की कैसे हारने के बाद जीत जरुरु मिलती है बस मेहनत करने के देरी है जैसे सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान् माना जाता है वैसे ही यह बैडमिंटन की राइजिंग क्वीन है
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